Thursday 17 May 2012

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chapter 1 and 2.mp3
chapter 3.mp3
chapter 4.mp3
chapter 5.mp3
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The sanskrit shlokas are also available in text format at...
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Wednesday 27 July 2011

Chanakya Neeti Shastra - Satarahwa Adhyay ; hindi translation based on the english version by Swami Sri Miles Davis (Patita Pavana dasa) of ISKCON Lucknow, India

1. The scholar who has acquired knowledge by studying innumerable books without the blessings of a bonafide spiritual master does not shine in an assembly of truly learned men just as an illegitimate child is not honoured in society.

वह विद्वान जिसने असंख्य किताबो का अध्ययन बिना सदगुरु के आशीर्वाद से कर लिया वह विद्वानों की सभा में एक सच्चे विद्वान के रूप में नहीं चमकता है. उसी प्रकार जिस प्रकार एक नाजायज औलाद को दुनिया में कोई प्रतिष्ठा हासिल नहीं होती.

2. We should repay the favours of others by acts of kindness; so also should we return evil for evil in which there is no sin, for it is necessary to pay a wicked man in his own coin.

हमें दुसरो से जो मदद प्राप्त हुई है उसे हमें लौटना चाहिए. उसी प्रकार यदि किसीने हमसे यदि दुष्टता की है तो हमें भी उससे दुष्टता करनी चाहिए. ऐसा करने में कोई पाप नहीं है.

3. That thing which is distant, that thing which appears impossible, and that which is far beyond our reach, can be easily attained through tapasya (religious austerity), for nothing can surpass austerity.

वह चीज जो दूर दिखाई देती है, जो असंभव दिखाई देती है, जो हमारी पहुच से बहार दिखाई देती है, वह भी आसानी से हासिल हो सकती है यदि हम तप करते है. क्यों की तप से ऊपर कुछ नहीं.

4. What vice could be worse than covetousness? What is more sinful than slander? For one who is truthful, what need is there for austerity? For one who has a clean heart, what is the need for pilgrimage? If one has a good disposition, what other virtue is needed? If a man has fame, what is the value of other ornamentation? What need is there for wealth for the man of practical knowledge? And if a man is dishonoured, what could there be worse than death?

लोभ से बड़ा दुर्गुण क्या हो सकता है. पर निंदा से बड़ा पाप क्या है. जो सत्य में प्रस्थापित है उसे तप करने की क्या जरूरत है. जिसका ह्रदय शुद्ध है उसे तीर्थ यात्रा की क्या जरूरत है. यदि स्वभाव अच्छा है तो और किस गुण की जरूरत है. यदि कीर्ति है तो अलंकार की क्या जरुरत है. यदि व्यवहार ज्ञान है तो दौलत की क्या जरुरत है. और यदि अपमान हुआ है तो मृत्यु से भयंकर नहीं है क्या.

5. Though the sea, which is the reservoir of all jewels, is the father of the conch shell, and the Goddess of fortune Lakshmi is conch's sister, still the conch must go from door to door for alms (in the hands of a beggar). It is true, therefore, that one gains nothing without having given in the past.

समुद्र ही सभी रत्नों का भण्डार है. वह शंख का पिता है. देवी लक्ष्मी शंख की बहन है. लेकिन दर दर पर भीख मांगने वाले हाथ में शंख ले कर घूमते है. इससे यह बात सिद्ध होती है की उसी को मिलेगा जिसने पहले दिया है.

6. When a man has no strength left in him he becomes a sadhu, one without wealth acts like a brahmacari, a sick man behaves like a devotee of the Lord, and when a woman grows old she becomes devoted to her husband.

जब आदमी में शक्ति नहीं रह जाती वह साधू हो जाता है. जिसके पास दौलत नहीं होती वह ब्रह्मचारी बन जाता है. रुग्ण भगवान् का भक्त हो जाता है. जब औरत बूढी होती है तो पति के प्रति समर्पित हो जाती है.

8. There is poison in the fang of the serpent, in the mouth of the fly and in the sting of a scorpion; but the wicked man is saturated with it.

साप के दंश में विष होता है. कीड़े के मुह में विष होता है. बिच्छू के डंख में विष होता है. लेकिन दुष्ट व्यक्ति तो पूर्ण रूप से विष से भरा होता है.

9. The woman who fasts and observes religious vows without the permission of her husband shortens his life, and goes to hell.

जो स्त्री अपने पति की सम्मति के बिना व्रत रखती है और उपवास करती है, वह उसकी आयु घटाती है और खुद नरक में जाती है.

10. A woman does not become holy by offering charity, by observing hundreds of fasts, or by sipping sacred water, as by sipping the water used to wash her husbands feet.

स्त्री दान दे कर, उपवास रख कर और पवित्र जल का पान करके पावन नहीं हो सकती. वह पति के चरणों को धोने से और ऐसे जल का पान करने से शुद्ध होती है.

12. The hand is not so well adorned by ornaments as by charitable offerings; one does not become clean by smearing sandalwood paste upon the body as by taking a bath; one does not become so much satisfied by dinner as by having respect shown to him; and salvation is not attained by self-adornment as by cultivation of spiritual knowledge.

एक हाथ की शोभा गहनों से नहीं दान देने से है. चन्दन का लेप लगाने से नहीं जल से नहाने से निर्मलता आती है. एक व्यक्ति भोजन खिलाने से नहीं सम्मान देने से संतुष्ट होता है. मुक्ति खुद को सजाने से नहीं होती, अध्यात्मिक ज्ञान को जगाने से होती है.

14. The eating of tundi fruit deprives a man of his sense, while the vacha root administered revives his reasoning immediately. A woman at once robs a man of his vigour while milk at once restores it.

टुंडी फल खाने से आदमी की समझ खो जाती है. वच मूल खिलाने से लौट आती है. औरत के कारण आदमी की शक्ति खो जाती है, दूध से वापस आती है.

15. He who nurtures benevolence for all creatures within his heart overcomes all difficulties and will be the recipient of all types of riches at every step.

जिसमे सभी जीवो के प्रति परोपकार की भावना है वह सभी संकटों पर मात करता है और उसे हर कदम पर सभी प्रकार की सम्पन्नता प्राप्त होती है.

16. What is there to be enjoyed in the world of Lord Indra for one whose wife is loving and virtuous, who possesses wealth, who has a well-behaved son endowed with good qualities, and who has grandchildren born of his children?

वह इंद्र के राज्य में जाकर क्या सुख भोगेगा....
जिसकी पत्नी प्रेमभाव रखने वाली और सदाचारी है.
जिसके पास में संपत्ति है.
जिसका पुत्र सदाचारी और अच्छे गुण वाला है.
जिसको अपने पुत्र द्वारा पौत्र हुए है.

17. Men have eating, sleeping, fearing and mating in common with the lower animals. That in which men excel the beasts is discretionary knowledge; hence, indiscreet men who are without knowledge should be regarded as beasts.

मनुष्यों में और निम्न स्तर के प्राणियों में खाना, सोना, घबराना और गमन करना समान है. मनुष्य अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ है तो विवेक ज्ञान की बदौलत. इसलिए जिन मनुष्यों में ज्ञान नहीं है वे पशु है.

18. If the bees that seek the liquid oozing from the head of a lust-intoxicated elephant are driven away by the flapping of his ears, then the elephant has lost only the ornament of his head. The bees are quite happy in the lotus filled lake.

यदि मद मस्त हाथी अपने माथे से टपकने वाले रस को पीने वाले भौरों को कान हिलाकर उड़ा देता है, तो भौरों का कुछ नहीं जाता, वे कमल से भरे हुए तालाब की ओर ख़ुशी से चले जाते है. हाथी के माथे का शृंगार कम हो जाता है.

19. A king, a prostitute, Lord Yamaraja, fire, a thief, a young boy, and a beggar cannot understand the suffering of others. The eighth of this category is the tax collector.

ये आठो कभी दुसरो का दुःख नहीं समझ सकते ...
१. राजा २. वेश्या ३. यमराज ४. अग्नि ५. चोर ६. छोटा बच्चा ७. भिखारी और ८. कर वसूल करने वाला.

20. O lady, why are you gazing downward? Has something of yours fallen on the ground? (She replies) O fool, can you not understand the pearl of my youth has slipped away?

हे महिला, तुम निचे झुककर क्या देख रही हो? क्या तुम्हारा कुछ जमीन पर गिर गया है?
हे मुर्ख, मेरे तारुण्य का मोती न जाने कहा फिसल गया.

21. O ketki flower! Serpents live in your midst, you bear no edible fruits, your leaves are covered with thorns, you are crooked in growth, you thrive in mud, and you are not easily accessible. Still for your exceptional fragrance you are as dear as kinsmen to others. Hence, a single excellence overcomes a multitude of blemishes.

हे केतकी पुष्प! तुममे तो कीड़े रहते है. तुमसे ऐसा कोई फल भी नहीं बनता जो खाया जाय. तुम्हारे पत्ते काटो से ढके है. तुम टेढ़े होकर बढ़ते हो. कीचड़ में खिलते हो. कोई तुम्हे आसानी से पा नहीं सकता. लेकिन तुम्हारी अतुलनीय खुशबु के कारण दुसरे पुष्पों की तरह सभी को प्रिय हो. इसीलिए एक ही अच्छाई अनेक बुराइयों पर भारी पड़ती है.

Chanakya Neeti Shastra - Solahwa Adhyay ; hindi translation based on the english version by Swami Sri Miles Davis (Patita Pavana dasa) of ISKCON Lucknow, India

2. The heart of a woman is not united; it is divided. While she is talking with one man, she looks lustfully at another and thinks fondly of a third in her heart.

स्त्री (यहाँ लम्पट स्त्री या पुरुष अभिप्रेत है) का ह्रदय पूर्ण नहीं है वह बटा हुआ है. जब वह एक आदमी से बात करती है तो दुसरे की ओर वासना से देखती है और मन में तीसरे को चाहती है.

3. The fool (mudha) who fancies that a charming young lady loves him, becomes her slave and he dances like a shakuntal bird tied to a string.

मुर्ख को लगता है की वह हसीन लड़की उसे प्यार करती है. वह उसका गुलाम बन जाता है और उसके इशारो पर नाचता है.

4. Who is there who, having become rich, has not become proud? What licentious man has put an end to his calamities? What man in this world has not been overcome by a woman? Who is always loved by the king? Who is there who has not been overcome by the ravages of time? What beggar has attained glory? Who has become happy by contracting the vices of the wicked?

ऐसा यहाँ कौन है जिसमे दौलत पाने के बाद मस्ती नहीं आई. क्या कोई बेलगाम आदमी अपने संकटों पर रोक लगा पाया. इस दुनिया में किस आदमी को औरत ने कब्जे में नहीं किया. किस के ऊपर राजा की हरदम मेहेरबानी रही. किसके ऊपर समय के प्रकोप नहीं हुए. किस भिखारी को यहाँ शोहरत मिली. किस आदमी ने दुष्ट के दुर्गुण पाकर सुख को प्राप्त किया.

6. A man attains greatness by his merits, not simply by occupying an exalted seat. Can we call a crow an eagle (garuda) simply because he sits on the top of a tall building.

व्यक्ति को महत्ता उसके गुण प्रदान करते है वह जिन पदों पर काम करता है सिर्फ उससे कुछ नहीं होता. क्या आप एक कौवे को गरुड़ कहेंगे यदि वह एक ऊँची ईमारत के छत पर जाकर बैठता है.

8. The man who is praised by others as great is regarded as worthy though he may be really void of all merit. But the man who sings his own praises lowers himself in the estimation of others though he should be Indra (the possessor of all excellences).

जो व्यक्ति गुणों से रहित है लेकिन जिसकी लोग सराहना करते है वह दुनिया में काबिल माना जा सकता है. लेकिन जो आदमी खुद की ही डींगे हाकता है वो अपने आप को दुसरे की नजरो में गिराता है भले ही वह स्वर्ग का राजा इंद्र हो.

9. If good qualities should characterise a man of discrimination, the brilliance of his qualities will be recognised just as a gem, which is essentially bright, really shines when fixed in an ornament of gold.

यदि एक विवेक संपन्न व्यक्ति अच्छे गुणों का परिचय देता है तो उसके गुणों की आभा को रत्न जैसी मान्यता मिलती है. एक ऐसा रत्न जो प्रज्वलित है और सोने के अलंकर में मढने पर और चमकता है.

10. Even one who by his qualities appears to be all knowing suffers without patronage; the gem, though precious, requires a gold setting.

वह व्यक्ति जो सर्व गुण संपन्न है अपने आप को सिद्ध नहीं कर सकता है जबतक उसे समुचित संरक्षण नहीं मिल जाता. उसी प्रकार जैसे एक मणि तब तक नहीं निखरता जब तक उसे आभूषण में सजाया ना जाए.

11. I do not deserve that wealth which is to be attained by enduring much suffering, or by transgressing the rules of virtue, or by flattering an enemy.

मुझे वह दौलत नहीं चाहिए जिसके लिए कठोर यातना सहनी पड़े, या सदाचार का त्याग करना पड़े या अपने शत्रु की चापलूसी करनी पड़े.

13. Those who were not satiated with the enjoyment of wealth, food and women have all passed away; there are others now passing away who have likewise remained unsatiated; and in the future still others will pass away feeling themselves unsatiated.

जो अपनी दौलत, पकवान और औरते भोगकर संतुष्ट नहीं हुए ऐसे बहोत लोग पहले मर चुके है. अभी भी मर रहे है और भविष्य में भी मरेंगे.

14. All charities and sacrifices (performed for fruitive gain) bring only temporary results, but gifts made to deserving persons and protection offered to all creatures shall never perish.

सभी परोपकार और तप तात्कालिक लाभ देते है. लेकिन सुपात्र को जो दान दिया जाता है और सभी जीवो को जो संरक्षण प्रदान किया जाता है उसका पुण्य कभी नष्ट नहीं होता.

15. A blade of grass is light, cotton is lighter, and the beggar is infinitely lighter still. Why then does not the wind carry him away? Because it fears that he may ask alms of him.

घास का तिनका हल्का है. कपास उससे भी हल्का है. भिखारी तो अनंत गुना हल्का है. फिर हवा का झोका उसे उड़ाके क्यों नहीं ले जाता. क्योकि वह डरता है कही वह भीख न मांग ले.

16. It is better to die than to preserve this life by incurring disgrace. The loss of life causes but a moment's grief, but disgrace brings grief every day of one's life.

बेइज्जत होकर जीने से अच्छा है की मर जाए. मरने में एक क्षण का दुःख होता है पर बेइज्जत होकर जीने में हर रोज दुःख उठाना पड़ता है.

17. All the creatures are pleased by loving words; and therefore we should address words that are pleasing to all, for there is no lack of sweet words.

सभी जीव मीठे वचनों से आनंदित होते है. इसीलिए हम सबसे मीठे वचन कहे. मीठे वचन की कोई कमी नहीं है.

18. There are two nectarine fruits hanging from the tree of this world: one is the hearing of sweet words (such as Krsna-katha) and the other, the society of saintly men.

इस दुनिया के वृक्ष को दो मीठे फल लगे है. मधुर वचन और सत्संग.

19. The good habits of charity, learning and austerity practised during many past lives continue to be cultivated in this birth by virtue of the link (yoga) of this present life to the previous ones.

पहले के जन्मो की अच्छी आदते जैसे दान, विद्यार्जन और तप इस जनम में भी चलती रहती है. क्योकि सभी जनम एक श्रुंखला से जुड़े है.

20. One whose knowledge is confined to books and whose wealth is in the possession of others, can use neither his knowledge nor wealth when the need for them arises.

जिसका ज्ञान किताबो में सिमट गया है और जिसने अपनी दौलत दुसरो के सुपुर्द कर दी है वह जरुरत आने पर ज्ञान या दौलत कुछ भी इस्तमाल नहीं कर सकता.

Chanakya Neeti Shastra - Pandhrawa Adhyay ; hindi translation based on the english version by Swami Sri Miles Davis (Patita Pavana dasa) of ISKCON Lucknow, India

1. For one whose heart melts with compassion for all creatures; what is the necessity of knowledge, liberation, matted hair on the head, and smearing the body with ashes?

वह व्यक्ति जिसका ह्रदय हर प्राणी मात्र के प्रति करुणा से पिघलता है. उसे जरुरत क्या है किसी ज्ञान की, मुक्ति की, सर के ऊपर जटाजूट रखने की और अपने शारीर पर राख मलने की.

2. There is no treasure on earth the gift of which will cancel the debt a disciple owes his guru for having taught him even a single letter (that leads to Krsna consciousness).

इस दुनिया में वह खजाना नहीं है जो आपको आपके सदगुरु ने ज्ञान का एक अक्षर दिया उसके कर्जे से मुक्त कर सके.

3. There are two ways to get rid of thorns and wicked persons; using footwear in the first place and in the second shaming them so that they cannot raise their faces again thus keeping them at a distance.

काटो से और दुष्ट लोगो से बचने के दो उपाय है. पैर में जुते पहनो और उन्हें इतना शर्मसार करो की वो अपना सर उठा ना सके और आपसे दूर रहे.

4. He who wears unclean garments, has dirty teeth, is a glutton, speaks unkindly and sleeps after sunrise -- although he may be the greatest personality -- will lose the favour of Lakshmi.

जो अस्वच्छ कपडे पहनता है. जिसके दात साफ़ नहीं. जो बहोत खाता है. जो कठोर शब्द बोलता है. जो सूर्योदय के बाद उठता है. उसका कितना भी बड़ा व्यक्तित्व क्यों न हो, वह लक्ष्मी की कृपा से वंचित रह जायेगा.

5. He who loses his money is forsaken by his friends, his wife, his servants and his relations; yet when he regains his riches those who have forsaken him come back to him. Hence wealth is certainly the best of relations.

जब व्यक्ति दौलत खोता है तो उसके मित्र, पत्नी, नौकर, सम्बन्धी उसे छोड़कर चले जाते है. और जब वह दौलत वापस हासिल करता है तो ये सब लौट आते है. इसीलिए दौलत ही सबसे अच्छा रिश्तेदार है.

6. Sinfully acquired wealth may remain for ten years; in the eleventh year it disappears with even the original stock.

पाप से कमाया हुआ पैसा दस साल रह सकता है. ग्यारवे साल में वह लुप्त हो जाता है, उसकी मुद्दल के साथ.

7. A bad action committed by a great man is not censured (as there is none that can reproach him), and a good action performed by a low-class man comes to be condemned (because none respects him). Just see: the drinking of nectar is excellent, but it became the cause of Rahu's demise; and the drinking of poison is harmful, but when Lord Shiva (who is exalted) drank it, it became an ornament to his neck (nila-kantha).

एक महान आदमी जब कोई गलत काम करता है तो उसे कोई कुछ नहीं कहता. एक नीच आदमी जब कोई अच्छा काम भी करता है तो उसका धिक्कार होता है. देखिये अमृत पीना तो अच्छा है लेकिन राहू की मौत अमृत पिने से ही हुई. विष पीना नुकसानदायी है लेकिन भगवान् शंकर ने जब विष प्राशन किया तो विष उनके गले का अलंकार हो गया.

8. A true meal is that which consists of the remnants left after a brahmana's meal. Love, which is shown to others, is true love, not that which is cherished for one's own self. To abstain from sin is true wisdom. That is an act of charity, which is performed without ostentation.

एक सच्चा भोजन वह है जो ब्राह्मण को देने के बाद शेष है. प्रेम वह सत्य है जो दुसरो को दिया जाता है. खुद से जो प्रेम होता है वह नहीं. वही बुद्धिमत्ता है जो पाप करने से रोकती है. वही दान है जो बिना दिखावे के किया जाता है.

9. For want of discernment the most precious jewels lie in the dust at the feet of men while bits of glass are worn on their heads. But we should not imagine that the gems have sunk in value, and the bits of glass have risen in importance. When a person of critical judgement shall appear, each will be given its right position.

यदि आदमी को परख नहीं है तो वह अनमोल रत्नों को तो पैर की धुल में पडा हुआ रखता है और घास को सर पर धारण करता है. ऐसा करने से रत्नों का मूल्य कम नहीं होता और घास के तिनको की महत्ता नहीं बढती. जब विवेक बुद्धि वाला आदमी आता है तो हर चीज को उसकी जगह दिखाता है.

10. Sastric (scriptural) knowledge is unlimited, and the arts to be learned are many; the time we have is short, and our opportunities to learn are beset with obstacles. Therefore select for learning that which is most important, just as the swan drinks only the milk in water.

शास्त्रों का ज्ञान अगाध है. वो कलाए अनंत जो हमें सीखनी छाहिये. हमारे पास समय थोडा है. जो सिखने के मौके है उसमे अनेक विघ्न आते है. इसीलिए वही सीखे जो अत्यंत महत्वपूर्ण है. उसी प्रकार जैसे हंस पानी छोड़कर उसमे मिला हुआ दूध पी लेता है.

11. He is a chandala who eats his dinner without entertaining the stranger who has come to his house quite accidentally, having travelled from a long distance and is wearied.

वह आदमी चंडाल है जो एक दूर से अचानक आये हुए थके मांदे अतिथि को आदर सत्कार दिए बिना रात्रि का भोजन खुद खाता है.

12. One may know the four Vedas and the Dharma-sastras, yet if he has no realisation of his own spiritual self, he can be said to be like the ladle (spoon) which stirs all kinds of foods but knows not the taste of any.

एक व्यक्ति को चारो वेद और सभी धर्मं शास्त्रों का ज्ञान है. लेकिन उसे यदि अपने आत्मा की अनुभूति नहीं हुई तो वह उसी चमचे के समान है जिसने अनेक पकवानों को हिलाया लेकिन किसी का स्वाद नहीं चखा.

13. Those blessed souls are certainly elevated who, while crossing the ocean of life, take shelter of a genuine brahmana, who is likened unto a boat. They are unlike passengers aboard an ordinary ship that runs the risk of sinking.

वह लोग धन्य है, ऊँचे उठे हुए है जिन्होंने संसार समुद्र को पार करते हुए एक सच्चे ब्राह्मण की शरण ली. उनकी शरणागति ने नौका का काम किया. वे ऐसे मुसाफिरों की तरह नहीं है जो ऐसे सामान्य जहाज पर सवार है जिसके डूबने का खतरा है.

14. The moon, who is the abode of nectar and the presiding deity of all medicines, although immortal like amrta and resplendent in form, loses the brilliance of his rays when he repairs to the abode of the sun (day time). Therefore, will not an ordinary man be made to feel inferior by going to live at the house of another?

चन्द्रमा जो अमृत से लबालब है और जो औषधियों की देवता माना जाता है, जो अमृत के समान अमर और दैदीप्यमान है. उसका क्या हश्र होता है जब वह सूर्य के घर जाता है अर्थात दिन में दिखाई देता है. तो क्या एक सामान्य आदमी दुसरे के घर जाकर लघुता को नहीं प्राप्त होगा.

15. This humble bee, which always resides among the soft petals of the lotus and drinks abundantly its sweet nectar, is now feasting on the flower of the ordinary kutaja. Being in a strange country where the lotuses do not exist, he is considering the pollen of the kutaja to be nice.

यह मधु मक्खी जो कमल की नाजुक पंखडियो में बैठकर उसके मीठे मधु का पान करती थी, वह अब एक सामान्य कुटज के फूल पर अपना ताव मारती है. क्यों की वह ऐसे देश में आ गयी है जहा कमल है ही नहीं, उसे कुटज के पराग ही अच्छे लगते है.

16. (Lord Visnu asked His spouse Lakshmi why She did not care to live in the house of a brahmana.She replied:) “O Lord a rishi named Agastya drank up My father (the ocean) in anger; Brighu Muni kicked You; brahmanas pride themselves on their learning having sought the favour of My competitor Sarasvati; and lastly they pluck each day the lotus which is My abode, and therewith worship Lord Shiva. Therefore, O Lord, I fear to dwell with a brahmana”.

हे भगवान् विष्णु, मेरे स्वामी, मै ब्राह्मणों के घर में इस लिए नहीं रहती क्यों की.....
अगस्त्य ऋषि ने गुस्से में समुद्र को ( जो मेरे पिता है) पी लिया.
भृगु मुनि ने आपकी छाती पर लात मारी.
ब्राह्मणों  को पढने में बहोत आनंद आता है और वे मेरी जो स्पर्धक है उस सरस्वती की हरदम कृपा चाहते है.
और वे रोज कमल के फूल को जो मेरा निवास है जलाशय से निकलते है और भगवान् शिव की पूजा करते है.

17. There are many ways of binding by which one can be dominated and controlled in this world, but the bond of affection is the strongest. For example, take the case of the humble bee, which, although expert at piercing hardened wood, becomes caught in the embrace of its beloved flowers (as the petals close at dusk).

दुनिया में बाँधने के ऐसे अनेक तरीके है जिससे व्यक्ति को प्रभाव में लाया जा सकता है और नियंत्रित किया जा सकता है. सबसे मजबूत बंधन प्रेम का है. इसका उदाहरण वह मधु मक्खी है जो लकड़ी को छेड़ सकती है लेकिन फूल की पंखुडियो को छेदना पसंद नहीं करती चाहे उसकी जान चली जाए.

18. Although sandalwood is cut, it does not forsake its natural quality of fragrance; so also the elephant does not give up sportiveness though he should grow old. The sugarcane does not cease to be sweet though squeezed in a mill; so the man of noble extraction does not lose his lofty qualities, no matter how pinched he is by poverty.

चन्दन कट जाने पर भी अपनी महक नहीं छोड़ते. हाथी बुढा होने पर भी अपनी लीला नहीं छोड़ता. गन्ना निचोड़े जाने पर भी अपनी मिठास नहीं छोड़ता. उसी प्रकार ऊँचे कुल में पैदा हुआ व्यक्ति अपने उन्नत गुणों को नहीं छोड़ता भले ही उसे कितनी भी गरीबी में क्यों ना बसर करना पड़े.

Tuesday 26 July 2011

Chanakya Neeti Shastra - Choudwa Adhyay ; hindi translation based on the english version by Swami Sri Miles Davis (Patita Pavana dasa) of ISKCON Lucknow, India

1. Poverty, disease, sorrow, imprisonment and other evils are the fruits borne by the tree of one's own sins.

गरीबी, दुःख और एक बंदी का जीवन यह सब व्यक्ति के किए हुए पापो का ही फल है.

2. Wealth, a friend, a wife, and a kingdom may be regained; but this body when lost may never be acquired again.

आप दौलत, मित्र, पत्नी और राज्य गवाकर वापस पा सकते है लेकिन यदि आप अपनी काया गवा देते है तो वापस नहीं मिलेगी.

3. The enemy can be overcome by the union of large numbers, just as grass through its collectiveness wards off erosion caused by heavy rainfall.

यदि हम बड़ी संख्या में एकत्र हो जाए तो दुश्मन को हरा सकते है. उसी प्रकार जैसे घास के तिनके एक दुसरे के साथ रहने के कारण भारी बारिश में भी क्षय नहीं होते.

4. Oil on water, a secret communicated to a base man, a gift given to a worthy receiver, and scriptural instruction given to an intelligent man spread out by virtue of their nature.

पानी पर तेल, एक कमीने आदमी को बताया हुआ राज, एक लायक व्यक्ति को दिया हुआ दान और एक बुद्धिमान व्यक्ति को पढाया हुआ शास्त्रों का ज्ञान अपने स्वभाव के कारण तेजी से फैलते है.

5. If men should always retain the state of mind they experience when hearing religious instruction, when present at a crematorium ground, and when in sickness -- then who could not attain liberation.

वह व्यक्ति क्यों मुक्ति को नहीं पायेगा जो निम्न लिखित परिस्थितियों में जो उसके मन की अवस्था होती है उसे कायम रखता है...
जब वह धर्म के अनुदेश को सुनता है.
जब वह स्मशान घाट में होता है.
 जब वह बीमार होता है.

6. If a man should feel before, as he feels after, repentance -- then who would not attain perfection?

वह व्यक्ति क्यों पूर्णता नहीं हासिल करेगा जो पश्चाताप में जो मन की अवस्था होती है, उसी अवस्था को काम करते वक़्त बनाए रखेंगा.

7. We should not feel pride in our charity, austerity, valour, scriptural knowledge, modesty and morality for the world is full of the rarest gems.

हमें अभिमान नहीं होना चाहिए जब हम ये बाते करते है..
१. परोपकार २. आत्म संयम  ३. पराक्रम ४. शास्त्र का ज्ञान हासिल करना. ५. विनम्रता ६. नीतिमत्ता

यह करते वक़्त अभिमान करने की इसलिए जरुरत नहीं क्यों की दुनिया बहुत कम दिखाई देने वाले दुर्लभ रत्नों से भरी पड़ी है.

8. He who lives in our mind is near though he may actually be far away; but he who is not in our heart is far though he may really be nearby.

वह जो हमारे मन में रहता हमारे निकट है. हो सकता है की वास्तव में वह हमसे बहुत दूर हो. लेकिन वह व्यक्ति जो हमारे निकट है लेकिन हमारे मन में नहीं है वह हमसे बहोत दूर है.

9. We should always speak what would please the man of whom we expect a favour, like the hunter who sings sweetly when he desires to shoot a deer.

यदि हम किसीसे कुछ पाना चाहते है तो उससे ऐसे शब्द बोले जिससे वह प्रसन्न हो जाए. उसी प्रकार जैसे एक शिकारी मधुर गीत गाता है जब वह हिरन पर बाण चलाना चाहता है.

10. It is ruinous to be familiar with the king, fire, the religious preceptor, and a woman. To be altogether indifferent to them is to be deprived of the opportunity to benefit ourselves, hence our association with them must be from a safe distance.

जो व्यक्ति राजा से, अग्नि से, धर्म गुरु से और स्त्री से बहुत परिचय बढ़ाता है वह विनाश को प्राप्त होता है. जो व्यक्ति इनसे पूर्ण रूप से अलिप्त रहता है, उसे अपना भला करने का कोई अवसर नहीं मिलता. इसलिए इनसे सुरक्षित अंतर रखकर सम्बन्ध रखना चाहिए.

11. We should always deal cautiously with fire, water, women, foolish people, serpents, and members of a royal family; for they may, when the occasion presents itself, at once bring about our death.

हम इनके साथ बहुत सावधानी से पेश आये..
१. अग्नि २. पानी ३. औरत ४. मुर्ख ५. साप ६. राज परिवार के सदस्य.
जब जब हम इनके संपर्क में आते है.
क्योकि ये हमें एक झटके में मौत तक पंहुचा सकते है.


12. He should be considered to be living who is virtuous and pious, but the life of a man who is destitute of religion and virtues is void of any blessing.

वही व्यक्ति जीवित है जो गुणवान है और पुण्यवान है.  लेकिन जिसके पास धर्म और गुण नहीं उसे क्या शुभ कामना दी जा सकती है.

13. If you wish to gain control of the world by the performance of a single deed, then keep the following fifteen, which are prone to wander here and there, from getting the upper hand of you: the five sense objects (objects of sight, sound, smell, taste, and touch); the five sense organs (ears, eyes, nose, tongue and skin) and organs of activity (hands, legs, mouth, genitals and anus).

यदि आप दुनिया को एक काम करके जितना चाहते हो तो इन पंधरा को अपने काबू में रखो. इन्हें इधर उधर ना भागने दे.
पांच इन्द्रियों के विषय १. जो दिखाई देता है   २. जो सुनाई देता है   ३. जिसकी गंध आती है   ४. जिसका स्वाद आता है. ५. जिसका स्पर्श होता है.
पांच इन्द्रिय १. आँख २. कान ३. नाक ४. जिव्हा ५. त्वचा 
पांच कर्मेन्द्रिय १. हाथ २. पाँव ३. मुह ४. जननेंद्रिय ५. गुदा

14. He is a pandit (man of knowledge) who speaks what is suitable to the occasion, who renders loving service according to his ability, and who knows the limits of his anger.

वही पंडित है जो वही बात बोलता है जो प्रसंग के अनुरूप हो. जो अपनी शक्ति के अनुरूप दुसरो की प्रेम से सेवा करता है. जिसे अपने क्रोध की मर्यादा का पता है.

15 One single object (a woman) appears in three different ways: to the man who practices austerity it appears as a corpse, to the sensual it appears as a woman, and to the dogs as a lump of flesh.

एक ही वस्तु देखने वालो की योग्यता के अनुरूप बिलग बिलग दिखती है. तप करने वाले में वस्तु को देखकर कोई कामना नहीं जागती. लम्पट आदमी को हर वास्तु में स्त्री दिखती है. कुत्ते को हर वस्तु में मांस दिखता है.

16. A wise man should not divulge the formula of a medicine which he has well prepared; an act of charity which he has performed; domestic conflicts; private affairs with his wife; poorly prepared food he may have been offered; or slang he may have heard.

जो व्यक्ति बुद्धिमान है वह निम्न लिखित बाते किसी को ना बताये...
वह औषधि उसने कैसे बनायीं जो अच्छा काम कर रही है.
वह परोपकार जो उसने किया.
उसके घर के झगडे.
उसकी उसके पत्नी के साथ होने वाली व्यक्तिगत बाते.
उसने जो ठीक से न पका हुआ खाना खाया.
जो गालिया उसने सुनी.

17. The cuckoos remain silent for a long time (for several seasons) until they are able to sing sweetly (in the Spring) so as to give joy to all.

कोकिल तब तक मौन रहते है. जबतक वो मीठा गाने की क़ाबलियत हासिल नहीं कर लेते और सबको आनंद नहीं पंहुचा सकते.

18. We should secure and keep the following: the blessings of meritorious deeds, wealth, grain, the words of the spiritual master, and rare medicines. Otherwise life becomes impossible.

हम निम्न लिखित बाते प्राप्त करे और उसे कायम रखे.
हमें पुण्य कर्म के जो आशीर्वाद मिले.
धन, अनाज, वो शब्द जो हमने हमारे अध्यात्मिक गुरु से सुने.
कम पायी जाने वाली दवाइया.
हम ऐसा नहीं करते है तो जीना मुश्किल हो जाएगा.

19. Eschew wicked company and associate with saintly persons. Acquire virtue day and night, and always meditate on that which is eternal forgetting that which is temporary.

कुसंग का त्याग करे और संत जानो से मेलजोल बढाए. दिन और रात गुणों का संपादन करे. उसपर हमेशा चिंतन करे जो शाश्वत है और जो अनित्य है उसे भूल जाए.

Chanakya Neeti Shastra - Terwa Adhyay ; hindi translation based on the english version by Swami Sri Miles Davis (Patita Pavana dasa) of ISKCON Lucknow, India

1. A man may live but for a moment, but that moment should be spent in doing auspicious deeds. It is useless living even for a kalpa (4,320,000 *1000 years) and bringing only distress upon the two worlds (this world and the next).

यदि आदमी एक पल के लिए भी जिए तो भी उस पल को वह शुभ कर्म करने में खर्च करे. एक कल्प तक जी कर कोई लाभ नहीं. दोनों लोक इस लोक और पर-लोक में तकलीफ होती है.

2. We should not fret for what is past, nor should we be anxious about the future; men of discernment deal only with the present moment.

हम उसके लिए ना पछताए जो बीत गया. हम भविष्य की चिंता भी ना करे. विवेक बुद्धि रखने वाले लोग केवल वर्तमान में जीते है.

3. It certainly is nature of the demigods, men of good character, and parents to be easily pleased. Near and distant relatives are pleased when they are hospitably received with bathing, food, and drink; and pandits are pleased with an opportunity for giving spiritual discourse.

यह देवताओ का, संत जनों का और पालको का स्वभाव है की वे जल्दी प्रसन्न हो जाते है. निकट के और दूर के रिश्तेदार तब प्रसन्न होते है जब उनका आदर सम्मान किया जाए. उनके नहाने का, खाने पिने का प्रबंध किया जाए. पंडित जन जब उन्हें अध्यात्मिक सन्देश का मौका दिया जाता है तो प्रसन्न होते है.

4 Even as the unborn babe is in the womb of his mother, these five are fixed as his life destiny: his life span, his activities, his acquisition of wealth and knowledge, and his time of death.

जब बच्चा माँ के गर्भ में होता है तो यह पाच बाते तय हो जाती है...
१. कितनी लम्बी उम्र होगी. २. वह क्या करेगा ३. और ४. कितना धन और ज्ञान अर्जित करेगा. ५. मौत कब होगी.

5. Oh, see what a wonder it is! The doings of the great are strange: they treat wealth as light as a straw, yet, when they obtain it, they bend under its weight.

देखिये क्या आश्चर्य है? बड़े लोग अनोखी बाते करते है. वे पैसे को तो तिनके की तरह मामूली समझते है लेकिन जब वे उसे प्राप्त करते है तो उसके भार से और विनम्र होकर झुक जाते है.

6. He who is overly attached to his family members experiences fear and sorrow, for the root of all grief is attachment. Thus one should discard attachment to be happy.

जो व्यक्ति अपने घर के लोगो से बहोत आसक्ति रखता है वह भय और दुःख को पाता है. आसक्ति ही दुःख का मूल है. जिसे सुखी होना है उसे आसक्ति छोडनी पड़ेगी.

7. He who is prepared for the future and he who deals cleverly with any situation that may arise are both happy; but the fatalistic man who wholly depends on luck is ruined.

जो भविष्य के लिए तैयार है और जो किसी भी परिस्थिति को चतुराई से निपटता है. ये दोनों व्यक्ति सुखी है. लेकिन जो आदमी सिर्फ नसीब के सहारे चलता है वह बर्बाद होता है.

8. If the king is virtuous, then the subjects are also virtuous. If the king is sinful, then the subjects also become sinful. If he is mediocre, then the subjects are mediocre. The subjects follow the example of the king. In short, as is the king so are the subjects.

यदि राजा पुण्यात्मा है तो प्रजा भी वैसी ही होती है. यदि राजा पापी है तो प्रजा भी पापी. यदि वह सामान्य है तो प्रजा सामान्य. प्रजा के सामने राजा का उद्हारण होता है. और वो उसका अनुसरण करती है.

9. I consider him who does not act religiously as dead though living, but he who dies acting religiously unquestionably lives long though he is dead.

मेरी नजरो में वह आदमी मृत है जो जीते जी धर्म का पालन नहीं करता. लेकिन जो धर्म पालन में अपने प्राण दे देता है वह मरने के बाद भी बेशक लम्बा जीता है.

10. He who has acquired neither virtue, wealth, satisfaction of desires nor salvation (dharma, artha, kama, moksa), lives an utterly useless life, like the "nipples" hanging from the neck of a goat.

जिस व्यक्ति ने न ही कोई ज्ञान संपादन किया, ना ही पैसा कमाया, मुक्ति के लिए जो आवश्यक है उसकी पूर्ति भी नहीं किया. वह एक निहायत बेकार जिंदगी जीता है जैसे के बकरी की गर्दन से झूलने वाले स्तन.

11. The hearts of base men burn before the fire of other's fame, and they slander them being themselves unable to rise to such a high position.

जो नीच लोग होते है वो दुसरे की कीर्ति को देखकर जलते है. वो दुसरे के बारे में अपशब्द कहते है क्यों की उनकी कुछ करने की औकात नहीं है.

12. Excessive attachment to sense pleasures leads to bondage, and detachment from sense pleasures leads to liberation; therefore it is the mind alone that is responsible for bondage or liberation.

यदि विषय बहुत प्रिय है तो वो बंधन में डालते है. विषय सुख की अनासक्ति से मुक्ति की और गति होती है. इसीलिए मुक्ति या बंधन का मूल मन ही है.

13. He who sheds bodily identification by means of knowledge of the indwelling Supreme Self (Paramatma), will always be absorbed in meditative trance (samadhi) wherever his mind leads him.

जो आत्म स्वरुप का बोध होने से खुद को शारीर नहीं मानता, वह हरदम समाधी में ही रहता है भले ही उसका शरीर कही भी चला जाए.

14. Who realises all the happiness he desires? Everything is in the hands of God. Therefore one should learn contentment.

किस को सब सुख प्राप्त हुए जिसकी कामना की. सब कुछ भगवान् के हाथ में है. इसलिए हमें संतोष में जीना होगा.

15. As a calf follows its mother among a thousand cows, so the (good or bad) deeds of a man follow him.

जिस प्रकार एक गाय का बछड़ा, हजारो गायो में अपनी माँ के पीछे चलता है उसी तरह कर्म आदमी के पीछे चलते है.

16. He whose actions are disorganised has no happiness either in the midst of men or in a jungle -- in the midst of men his heart burns by social contacts, and his helplessness burns him in the forest.

जिस के काम करने में कोई व्यवस्था नहीं, उसे कोई सुख नहीं मिल सकता. लोगो के बीच या वन में. लोगो के मिलने से उसका ह्रदय जलता है और वन में तो कोई सुविधा होती ही नहीं.

17. As the man who digs obtains underground water by use of a shovel, so the student attains the knowledge possessed by his preceptor through his service.

यदि आदमी उपकरण का सहारा ले तो गर्भजल से पानी निकाल सकता है. उसी तरह यदि विद्यार्थी अपने गुरु की सेवा करे तो गुरु के पास जो ज्ञान निधि है उसे प्राप्त करता है.

18. Men reap the fruits of their deeds, and intellects bear the mark of deeds performed in previous lives; even so the wise act after due circumspection.

हमें अपने कर्म का फल मिलता है. हमारी बुद्धि पर इसके पहले हमने जो कर्म किये है उसका निशान है. इसीलिए जो बुद्धिमान लोग है वो सोच विचार कर कर्म करते है.

19. Even the man who has taught the spiritual significance of just one letter ought to be worshiped. He who does not give reverence to such a guru is born as a dog a hundred times, and at last takes birth as a chandala (dog-eater).

जिस व्यक्ति ने आपको अध्यात्मिक महत्ता का एक अक्षर भी पढाया उसकी पूजा करनी चाहिए. जो ऐसे गुरु का सम्मान नहीं करता वह सौ बार कुत्ते का जन्म लेता है. और आखिर चंडाल बनता है. चांडाल वह है जो कुत्ता खाता है.

20. At the end of the yuga, Mount Meru may be shaken; at the end of the kalpa, the waters of the seven oceans may be disturbed; but a sadhu will never swerve from the spiritual path.

जब युग का अंत हो जायेगा तो मेरु पर्वत डिग जाएगा. जब कल्प का अंत होगा तो सातों समुद्र का पानी विचलित हो जायगा. लेकिन साधू कभी भी अपने अध्यात्मिक मार्ग से नहीं डिगेगा.

21. There are three gems upon this earth; food, water, and pleasing words -- fools (mudhas) consider pieces of rocks as gems.

इस धरती पर अन्न, जल और मीठे वचन ये असली रत्न है. मूर्खो को लगता है पत्थर के टुकड़े रत्न है.


Chanakya Neeti Shastra - Baarwa Adhyay ; hindi translation based on the english version by Swami Sri Miles Davis (Patita Pavana dasa) of ISKCON Lucknow, India

1. He is a blessed grhasta (householder) in whose house there is a blissful atmosphere, whose sons are talented, whose wife speaks sweetly, whose wealth is enough to satisfy his desires, who finds pleasure in the company of his wife, whose servants are obedient, in whose house hospitality is shown, the auspicious Supreme Lord is worshiped daily, delicious food and drink is partaken, and who finds joy in the company of devotees.
वह गृहस्थ भगवान् की कृपा को पा चुका है जिसके घर में आनंददायी वातावरण है. जिसके बच्चे गुणी है. जिसकी पत्नी मधुर वाणी बोलती है. जिसके पास अपनी जरूरते पूरा करने के लिए पर्याप्त धन है. जो अपनी पत्नी से सुखपूर्ण सम्बन्ध रखता है. जिसके नौकर उसका कहा मानते है. जिसके घर में मेहमान का स्वागत किया जाता है. जिसके घर में मंगल दायी भगवान की पूजा रोज की जाती है. जहा स्वाद भरा भोजन और पान किया जाता है. जिसे भगवान् के भक्तो की संगती में आनंद आता है.

2. One who devotedly gives a little to a brahmana who is in distress is recompensed abundantly. Hence, O Prince, what is given to a good brahmana is got back not in an equal quantity, but in an infinitely higher degree.

जो एक संकट का सामना करने वाले ब्राह्मण को भक्ति भाव से अल्प दान देता है उसे बदले में विपुल लाभ होता है.

3. Those men who are happy in this world, who are generous towards their relatives, kind to strangers, indifferent to the wicked, loving to the good, shrewd in their dealings with the base, frank with the learned, courageous with enemies, humble with elders and stern with the wife.

वे लोग जो इस दुनिया में सुखी है. जो अपने संबंधियों के प्रति उदार है. अनजाने लोगो के प्रति सह्रदय है. अच्छे लोगो के प्रति प्रेम भाव रखते है. नीच लोगो से धूर्तता पूर्ण व्यवहार करते है. विद्वानों से कुछ नहीं छुपाते. दुश्मनों के सामने साहस दिखाते है. बड़ो के प्रति विनम्र और पत्नी के प्रति सख्त है.

4. O jackal, leave aside the body of that man at once, whose hands have never given in charity, whose ears have not heard the voice of learning, whose eyes have not beheld a pure devotee of the Lord, whose feet have never traversed to holy places, whose belly is filled with things obtained by crooked practices, and whose head is held high in vanity. Do not eat it, O jackal, otherwise you will become polluted.

अरे लोमड़ी !!! उस व्यक्ति के शरीर को तुरंत छोड़ दे. जिसके हाथो ने कोई दान नहीं दिया. जिसके कानो ने कोई विद्या ग्रहण नहीं की. जिसके आँखों ने भगवान् का सच्चा भक्त नहीं देखा. जिसके पाँव कभी तीर्थ क्षेत्रो में नहीं गए. जिसने अधर्म के मार्ग से कमाए हुए धन से अपना पेट भरा. और जिसने बिना मतलब ही अपना सर ऊँचा उठा  रखा है.  अरे लोमड़ी !! उसे मत खा. नहीं तो तू दूषित हो जाएगी.

5. "Shame upon those who have no devotion to the lotus feet of Sri Krsna, the son of mother Yasoda; who have no attachment for the descriptions of the glories of Srimati Radharani; whose ears are not eager to listen to the stories of the Lord's lila." Such is the exclamation of the mrdanga sound of dhik-tam dhik-tam dhigatam at kirtana.

धिक्कार है उन्हें जिन्हें भगवान् श्री कृष्ण जो माँ यशोदा के लाडले है उन के चरण कमलो में कोई भक्ति नहीं. मृदंग की ध्वनि धिक् तम धिक् तम करके ऐसे लोगो का धिक्कार करती है.

6. What fault of spring that the bamboo shoot has no leaves? What fault of the sun if the owl cannot see during the daytime? Is it the fault of the clouds if no raindrops fall into the mouth of the chatak bird? Who can erase what Lord Brahma has inscribed upon our foreheads at the time of birth?

बसंत ऋतू क्या करेगी यदि बास पर पत्ते नहीं आते. सूर्य का क्या दोष यदि उल्लू दिन में देख नहीं सकता. बादलो का क्या दोष यदि बारिश की बूंदे चातक पक्षी की चोच में नहीं गिरती. उसे कोई कैसे बदल सकता है जो किसी के मूल में है.

7. A wicked man may develop saintly qualities in the company of a devotee, but a devotee does not become impious in the company of a wicked person. The earth is scented by a flower that falls upon it, but the flower does not contact the odour of the earth.

एक दुष्ट के मन में सद्गुणों का उदय हो सकता है यदि वह एक भक्त से सत्संग करता है. लेकिन दुष्ट का संग करने से भक्त दूषित नहीं होता. जमीन पर जो फूल गिरता है उससे धरती सुगन्धित होती है लेकिन पुष्प को धरती की गंध नहीं लगती.

8. One indeed becomes blessed by having darshan of a devotee; for the devotee has the ability to purify immediately, whereas the sacred tirtha gives purity only after prolonged contact.

उसका सही में कल्याण हो जाता है जिसे भक्त के दर्शन होते है. भक्त में तुरंत शुद्ध करने की क्षमता है. पवित्र क्षेत्र में तो लम्बे समय के संपर्क से शुद्धि होती है.

9. A stranger asked a brahmana, "Tell me, who is great in this city?" The brahmana replied, "The cluster of palmyra trees is great." Then the traveller asked, "Who is the most charitable person?" The brahmana answered, "The washer man who takes the clothes in the morning and gives them back in the evening is the most charitable." He then asked, "Who is the ablest man?" The brahmana answered, "Everyone is expert in robbing others of their wives and wealth." The man then asked the brahmana, "How do you manage to live in such a city?" The brahmana replied, "As a worm survives while even in a filthy place so do I survive here!"

एक अजनबी ने एक ब्राह्मण से पूछा. "बताइए, इस शहर में महान क्या है?". ब्राह्मण ने जवाब दिया की खजूर के पेड़ का समूह महान है. 
अजनबी ने सवाल किया की यहाँ दानी कौन है? जवाब मिला के वह धोबी जो सुबह कपडे ले जाता है और शाम को लौटाता है.
प्रश्न हुआ यहाँ सबसे काबिल कौन है. जवाब मिला यहाँ हर कोई दुसरे का द्रव्य और दारा हरण करने में काबिल है. 
प्रश्न हुआ की आप ऐसी जगह रह कैसे लेते हो? जवाब मिला की जैसे एक कीड़ा एक दुर्गन्ध युक्त जगह पर रहता है.

10. The house in which the lotus feet of brahmanas are not washed, in which Vedic mantras are not loudly recited, and in which the holy rites of svaha (sacrificial offerings to the Supreme Lord) and swadha (offerings to the ancestors) are not performed, is like a crematorium.

वह घर जहा ब्राह्मणों के चरण कमल को धोया नहीं जाता, जहा वैदिक मंत्रो का जोर से उच्चारण नहीं होता. और जहा भगवान् को और पितरो को भोग नहीं लगाया जाता वह घर एक स्मशान है.

11. (It is said that a sadhu, when asked about his family, replied thusly): truth is my mother, and my father is spiritual knowledge; righteous conduct is my brother, and mercy is my friend, inner peace is my wife, and forgiveness is my son: these six are my kinsmen.

सत्य मेरी माता है. अध्यात्मिक ज्ञान मेरा पिता है. धर्माचरण मेरा बंधू है. दया मेरा मित्र है. भीतर की शांति मेरी पत्नी है. क्षमा मेरा पुत्र है. मेरे परिवार में ये छह लोग है.

12. Our bodies are perishable, wealth is not at all permanent and death is always nearby. Therefore we must immediately engage in acts of merit.

हमारे शारीर नश्वर है. धन में तो कोई स्थायी भाव नहीं है. म्रत्यु हरदम हमारे निकट है. इसीलिए हमें तुरंत पुण्य कर्म करने चाहिए.

13. Arjuna says to Krsna. "Brahmanas find joy in going to feasts, cows find joy in eating their tender grass, wives find joy in the company of their husbands, and know, O Krsna, that in the same way I rejoice in battle.

ब्राह्मणों को स्वादिष्ट भोजन में आनंद आता है. गायो को ताज़ी कोमल घास खाने में. पत्नी को पति के सान्निध्य में. क्षत्रियो को युद्ध में आनंद आता है.

14. He who regards another's wife as his mother, the wealth that does not belong to him as a lump of mud, and the pleasure and pain of all other living beings as his own -- truly sees things in the right perspective, and he is a true pandit.

जो दुसरे के पत्नी को अपनी माता मानता है, दुसरे को धन को मिटटी का ढेला, दुसरे के सुख दुःख को अपने सुख दुःख. उसी को सही दृष्टी प्राप्त है और वही विद्वान है.

15. O Raghava, the love of virtue, pleasing speech, and an ardent desire for performing acts of charity, guileless dealings with friends, humility in the guru's presence, deep tranquillity of mind, pure conduct, discernment of virtues, realised knowledge of the sastras, beauty of form and devotion to God are all found in you." (The great sage Vasistha Muni, the spiritual preceptor of the dynasty of the sun, said this to Lord Ramachandra at the time of His proposed coronation).

भगवान राम में ये सब गुण है. १. सद्गुणों में प्रीती. २. मीठे वचन ३. दान देने की तीव्र  इच्छा  शक्ति. ४. मित्रो के साथ कपट रहित व्यवहार. ५. गुरु की उपस्थिति में विनम्रता ६. मन की गहरी शान्ति. ६. शुद्ध आचरण ७. गुणों की परख ८. शास्त्र के ज्ञान की अनुभूति ८. रूप  की सुन्दरता ९. भगवत भक्ति.

16. Kalpataru (the wish fulfilling tree) is but wood; the golden Mount Meru is motionless; the wish-fulfilling gem chintamani is just a stone; the sun is scorching; the moon is prone to wane; the boundless ocean is saline; the demigod of lust lost his body (due to Shiva's wrath); Bali Maharaja, the son of Diti, was born into a clan of demons; and Kamadhenu (the cow of heaven) is a mere beast. O Lord of the Raghu dynasty! I cannot compare you to any one of these (taking their merits into account).

कल्प तरु तो एक लकड़ी ही है. सुवर्ण का सुमेर पर्वत तो निश्छल है. चिंता मणि तो एक पत्थर है. सूर्य में ताप है. चन्द्रमा तो घटता बढ़ता रहता है. अमर्याद समुद्र तो खारा है. काम देव का तो शरीर ही जल गया. महाराज  बलि तो राक्षस कुल में पैदा हुए. कामधेनु तो पशु ही है. भगवान् राम के समान कौन है.

17. Realised learning (vidya) is our friend while travelling, the wife is a friend at home, medicine is the friend of a sick man, and meritorious deeds are the friends at death.

विद्या सफ़र में हमारा मित्र है. पत्नी घर पर मित्र है. औषधि रुग्ण व्यक्ति की मित्र है. मरते वक्त तो पुण्य कर्म ही मित्र है.

18. Courtesy should be learned from princes, the art of conversation from pandits, lying should be learned from gamblers and deceitful ways should be learned from women.

राज परिवारों से शिष्टाचार सीखे. पंडितो से बोलने की कला सीखे. जुआरियो से झूट बोलना सीखे. एक औरत से छल सीखे.

19. The unthinking spender, the homeless urchin, the quarrel monger, the man who neglects his wife and is heedless in his actions -- all these will soon come to ruination.

बिना सोचे समझे खर्च करने वाला, नटखट बच्चा जिसे अपना घर नहीं, झगड़े पर आमदा आदमी, अपनी पत्नी को दुर्लक्षित करने वाला, जो अपने आचरण पर ध्यान नहीं देता है.  ये सब लोग जल्दी ही बर्बाद हो जायेंगे.

20. The wise man should not be anxious about his food; he should be anxious to be engaged only in dharma (Krsna consciousness). The food of each man is created for him at his birth.

एक विद्वान व्यक्ति ने अपने भोजन की चिंता नहीं करनी चाहिए. उसे सिर्फ अपने धर्म को निभाने की चिंता होनी चाहिए. हर व्यक्ति का भोजन पर जन्म से ही अधिकार है.

21. He who is not shy in the acquisition of wealth, grain and knowledge, and in taking his meals, will be happy

जिसे दौलत, अनाज और विद्या अर्जित करने में और भोजन करने में शर्म नहीं आती वह सुखी रहता है.

22. As centesimal droppings will fill a pot so also are knowledge, virtue and wealth gradually obtained.

बूंद बूंद से सागर बनता है. इसी तरह बूंद बूंद से ज्ञान, गुण और संपत्ति प्राप्त होते है.

23. The man who remains a fool even in advanced age is really a fool, just as the Indra-Varuna fruit does not become sweet no matter how ripe it might become.

जो व्यक्ति अपने बुढ़ापे में भी मुर्ख है वह सचमुच ही मुर्ख है. उसी प्रकार जिस प्रकार इन्द्र वरुण का फल कितना भी पके मीठा नहीं होता.